0 Part
265 times read
3 Liked
हाथ तुम थाम लो फिर से आकर मेरा, सही जाती नहीं है आपकी ये जुदाई। लिखने लगी दिल की नाज़ुक क़लम भरी आसुओं की है स्याही। कैसे कहूं मेरे जज़्बात ये, ...