तन्हा दिल

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अजीब है शाम डर सा समा रहा  जाने क्यों ये दिल है बेईमान  क्या वाकई फिक्र है उसे भी  या है वह यूं ही बेईमान,  शिद्दत ए इमान से पुकारती हूं ...

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