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अपने कर्मों की बगिया से, भारत-भू को महकाया।। इसकी लाज बचाने खातिर, स्वाभिमान से सिर कटवाया।। भारत-माता के आँचल के, थे हीरे अनमोल। कलम, आज उनकी जय बोल।। वतन की उम्मीदों ...