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विधा-सरसी छंद विषय-नारी हिंसा मात्रा भार16/11 नारी हिंसा करते निशिदिन, बनते पापी लोग। सभी वासना से पीड़ित हैं, लगा हुआ है रोग।। हर क्षण नर बस करना चाहे, नारी तन उपभोग। ...