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दैनिक प्रतियोगिता हेतु गज़ल आंखो की शिकायत ने, दीवाना बना डाला। नजरों नजरों ने ही, अफसाना बना डाला।। महफिल में शमां ने जब, छेड़ी गजलें अपनी। बेबाक खयालों ने, परवाना बना ...