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हसरतों के फूल चुनकर एक माला गूंथ लाई बनके दुल्हन देखो प्रियतम मैं तुम्हारे द्वार आई। वर्षों पुरानी रीतियों से मैंने ये आँचल सिया है आंसुओं के मोतियों का हार भी ...