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लक्षणा के दादाजी अर्थात् दिनकर के पिताजी ने अब तक का जीवन सामान्यतः भक्तियों में बिताया था, जिसके लिए किसी भी प्रकार की शक्ति या परीक्षा की आवश्यकता नहीं रही, और इसी ...