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लहू पिला कर सींचा जिसको, वह बगिया दुख देती है। अपमानित होती हूँ पल-पल, बहू मान कब देती है। यहाँ न बैठो वहाँ न जाओ, रोजाना के किस्से हैं। बेटा मुंह ...