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मुसाफिर मुसाफिर है तू राहों का, न जाने कहाँ तक राह लेकर जाती है, कभी रुलाती है, कभी हँसाती है न जाने कौन मंजिल पर ये राहें पहुँचाती जाती हैं! थक ...