मुसाफिर

1 Part

257 times read

6 Liked

मुसाफिर मुसाफिर चलता जाए रे! आज यहां और कल का ठिकाना,  भटक ना जाए है रे!  मुसाफिर चलता जाए रे! ******************* कहीं पै देखा सुख भर भर के,  कहीं भरे भंडार ...

×