1 Part
405 times read
5 Liked
ख्वाहिशें अनकही।। बहुत थीं, बहुत हैं, और शायद, बहुत सी, बची भी रह जाएंगी, ख्वाहिशें अनकही, कभी, किसी मोड़ पर, इनके पूरा होने की आस लिए, जुड़ती चली जाएगी, नई उम्मीदों ...