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*हमसफर* मुझको कभी तन्हाई में, तन्हा नहीं रहने देता, गिरने को हो निर्झर आँसू, पलक शिखर पर ही रोक लेता। भरी भीड़ शाख का पत्ता बन , टूटने को हो जाऊँ ...