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प्रतियोगिता हेतु रचना मुसाफिर ******** मैं 'पथिक' मुसाफिर मानव पथ का, राहों में विचरता फिरता हूं। उबड़-खाबड़ पथ आ जाता उस पर भी चलता रहता हूं।। मैंने मंजिल को पाने का ...