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प्रदीप छंद शीर्षक-प्रियतम बिन लगता सूना प्रियतम कैसे सहूॅं जुदाई, आए हैं त्यौहार रे। जीवन लगता आज अधूरा, उजड़ा मम संसार रे।। डाल- डाल पर कोयल कूके, सखी बाग में झूलती। ...