कफ़न

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महल अटारी गढ़-गढ़ बैठे, प्राचीरों पर तल्ले तल्ला, उजड़ गई जब शाह की बस्ती, कहीं द्वार मेहराव मिला। पल-पल वक्त गुजरता जाए, मौज मस्ती में लिपटा मिला, कश्ती तूफानों ने घेरी, ...

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