अपने पराए

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भेदभाव की दुनिया है ये, अपनों की पहचान नहीं। आस्तीन में साँप बसे हैं, कब डस ले कुछ भान नहीं। बातें सब अच्छी करते हैं, पता बता देता है वक्त, किसने ...

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