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भाग : 38 (रहमान के सर का दर्द!) "वाह! समधन जी की सोच तो एकदम मुझसे मिलती-झुलती लगती है। देखा अमान बेटा! एक बेगम की ताकत! मजहब चाहे कोई भी हो ...