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लावणी छंद भारत माॅं की चिट्ठी आई, अब तो जागो रखवाले। जंजीरों से जकड़ी माता, पड़े बदन पर हैं छाले।। नहीं सहन अब होती पीड़ा,ऑंचल शोणित से गीला। करे तोप बंदूके ...