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आस्था,विश्वास,श्रद्धा,समर्पण, ये इंसान की भावनाएँ। करनी कथनी जड़ है इसकी, जबरन जागृत कब हो पाएँ। मंदिर मस्जिद कहीं भी जाएँ, लेकिन श्रद्धा नहीं मनस में, गुनाह करते रहें तिमिर में, भ्रमित ...