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ज़िन्दगी की नज़्म। अब तो काफ़ी जैसी कड़वी बातें भी । दूध सी उजयारी लगती है। उम्र के इस गलियारे में। सब बातें हिजाब नज़्म सी बन गूंजती हैं। तेरी कड़वी ...