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नहीं जगत में कोई तेरा, तू खुद ही खुद का अवलम्ब है। परछाई तेरे संग चले, आश्रय मात्र प्रतिबिम्ब है। दीप्ति आभा तेरे साथी, परछाई भी संग चलेगी। जैसे ही अँधियारा ...