कविता

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मैं कहीं नहीं मिलता आजकल सिर्फ खुलता हूँ तुम्हारी बातों में बनके एक और बात फैलता हूँ तुम्हारी मुस्कुराहट की बन के एक खुशबू रखा रहता हूँ तुम्हारी नींदों में रात ...

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