1 Part
56 times read
6 Liked
मेरी आँखों से गुजरी जो बीते लम्हों की परछाईं न फिर रोके रुकी ये आँखें झट से भर आती हैं, वो बचपन गुजरा था जो घर के आंगन में बारिश में ...