जन्माष्टमी पर एक रुबाइ

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राधा की झलक, कृष्ण की बरजोरियां भी काम की। है वही एक गुलबदन, गुलपोश भी, गुलफ़ाम भी।। है वह क़ाफ़िर जो क़ायल नहीं इस लाम की, लाम की मानिन्द हैं ज़ुल्फ़ें ...

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