बस...तुम वो हँसी जो मेरे लबों पर रहती हैं, जब होता है कोई ग़म तो आंखों से बहती हैं, उफ़्फ़ ये उल्फ़ते,उलझने मोहब्बत की, गले लगाकर शिकवे कहती हैं,, मेरा आगाज़ ...

×