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ग़ज़ल रदीफ़-लिख रहा हूँ काफ़िया- आब का तुकांत एक पल ज़िन्दगी का हिसाब लिख रहा हूँ। एक ताजा सी किताब लिख रहा हूँ। अँधेरों से भरी है मेरी रह गुज़र, कलम ...