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विषय- एक पल विधा-सायली छंद पल बचपन के चहकती खुशियों थीं अब कहाँ रहे। रुकता नहीं पल इसकी फितरत है आदमी के जैसी। बीते पल आज दुबारा मिले हैं मिले न ...