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मुहब्बत में लोग "निक्क" कहाँ वफ़ा देते है, हम अपने ज़ख्मों को खुद ही हवा देते है। वैसे अच्छा नहीं होता वक़्त बेवक़्त रोना, और हम ऐसा करके ख़ुदको सज़ा देते ...