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स्वैच्छिक कहानी प्रतियोगिता हेतु सच्ची मित्रता तो उसने निभाई है और जैसे ही द्वारकाधीश ने तीसरी मुट्ठी चावल उठा कर फाँक लगानी चाही, रुक्मिणी ने जल्दी से उनका हाथ पकड़ कर ...