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तलाश (स्वैच्छिक कविता प्रतियोगिता हेतु कविता) क्यूँ है तू इतना उदास, उठ, चल! अपने मंजिल के पास, जिसकी तूझे है कब से तलाश । छोड़ दे तू भाग्य का रोना, बस ...