परिंदा...

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.........परिंदा........ हवा न दो उन विचारों को जो लगा दे आग पानी मे जमीन पर खड़े रहना ही आकाश को छू लेना है... सीढियां ही पहुचाती हैं हमे उछलकर गगन नही ...

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