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मुक्तक मौज-मस्ती के चक्कर में विर्जिनिटी खोने का चलन बढ रहा है आधुनिकता के नाम पर यूं संस्कारों का जनाजा निकल रहा है "चरित्र" रो रहा है रोज ही मसली हुई ...