1 Part
260 times read
22 Liked
अभिमान हे नर तू क्यौ करता है, माया पर इतना अभिमान। माया से मिलता है जग में क्षणभर का ही सम्मान मन में निश्छलता रख छोड़ दे तू यह अभिमान। श्रेष्ठ ...