मुक्तक - उलझनें जीवन में

1 Part

222 times read

10 Liked

मुक्तक- उलझनें जीवन में  मात्रा भार-23 कैसी हैं ये उलझन, जमाने में आखिर,  सताती हैं उलझनें, हमें क्यों कर आखिर,  समस्याओं का अंबार है, जीवन अपना,  धैर्य रखना सुलझ जातीं उलझनें ...

×