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विषय-- *मन के लड्डू* शीर्षक-- *हाय!री किस्मत* विधा-- *मुक्त सृजन* मन के लड्डू फूट रहे थे, इश्क की पड़ी जब परछाईं थी। उतर गये प्रेम नदी में, बिना देखे,सोचे-समझे। दिन बीतता ...