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ले चल मेरे मालिक मुझको पार जगत् के धीरे - धीरे। सौंप दिया है मैंने तुझको अपना जीवन धीरे - धीरे।। जहाँ न कोई सूरज उगता, जहाँ न काली रातें हो ं, ...