सम्मान के अभिलाषी-किन्नर समाज

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जिसने रचा तुम्हें उसी ईश्वर के द्वारा रची हुई एक अनुपम कृति हूँ मैं। सम्मान की अपेक्षा रखती हूँ मैं, मेरे प्रति तुम्हारे व्यवहार में। माना तुम्हारी नज़र में महज़ एक ...

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