लेखनी कहानी -24-Sep-2023 मुक्ति

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कड़ाके की ठंड में दोपहर से ओंकार की बारात को नई नवेली दुल्हन के साथ बैलगाड़ियों से चलते-चलते ओंकार के गांव पहुंचने से पहले ही रात हो जाती है। दूल्हे ओंकार ...

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