1 Part
286 times read
19 Liked
सूर घनाक्षरी 8886 गणेश जी की स्तुति गणपति आओ आज, सुनकर ये आवाज, भाल सोहे स्वर्ण ताज, कष्ट ये मिटाओ। हाथ जोड़ द्वार खड़ी, आन पड़ी दुख घड़ी, बह रही अश्रु ...