Lekhny poetry -28-Sep-2023

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रेप एक लड़की कल बाजार में गुमसुम सी चुपचाप खड़ी थी आखों में डर चेहरे पे शर्म नजरें इकटक जमीं पे गढ़ी थीं।। जानबुझ कर या मजबूरी में चेहरा दुपट्टे से ...

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