1 Part
323 times read
24 Liked
जीवन चक्र निरंतर चलता। एक-एक दिन घटता जाए। पैदा होते शिशु कहलाए। धीरे-धीरे बुजुर्गी पाए। अपना बचपन सच्चा बीता। मकई रोटी चने का साग। बस्ता उठाया स्लेट पकड़ी। तीन मीलों तक ...