नादान

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जीवन चक्र निरंतर चलता। एक-एक दिन घटता जाए। पैदा होते शिशु कहलाए। धीरे-धीरे बुजुर्गी पाए। अपना बचपन सच्चा बीता। मक‌ई रोटी चने का साग। बस्ता उठाया स्लेट पकड़ी। तीन मीलों तक ...

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