1 Part
265 times read
25 Liked
*पकी उम्र के सपने* हम भी कितने नादान से हैं गैरों में अपने खोज रहे अपने ही कितने अपने हैं क्यों इतना भी ना सोच रहे। दिल करता है कोई अपना ...