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काश तुम आसमाँ बन जाते, और मैं पंछी बन दिन भर उड़ती। बदकिस्मती से तुम पिंजरा बन गए, और मैं उसमें कैद होती चली गयी। शुरुवात में थोड़ा कसमसाई, थोड़ा छटपटाई ...