02-Oct-2023 हज़्ल हास्य व्यंग्य शायरी

1 Part

259 times read

4 Liked

हज़्ल  न ये ज़मीं के लिए है न आसमां के लिए।  हर एक अहलिया होती है बस मियां के लिए।।  न मां पे शैर कहे हमने ओर न अब्बा पे।  तमाम ...

×