बुजुर्ग

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बीत गए दिन दर्द वही है, ये घाव सदियों पुराने से। नाम कराते जर जमीन को, अंगूठा किसी बहाने से। बच्चों खातिर जले धूप में, कब छाँव बैठ आराम किया। सब ...

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