कभी मोहब्बत...

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कभी मोहब्बत कभी दर्द... कभी आंसू भी छुपाती है गरीबी.... परहेज़ करती है नुमाइश ए मोहब्बत से... हर रंग दिल का  दबाती है गरीबी.... नाराज़गीया जाएज़ है तुम्हारी.... कभी दूरिया बढ़ा ...

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