मात और शह

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*मात और शह* आज के इस दौर में चलते रहें, लाख राहें हों कठिन बढ़ते रहें।। वीर तो रुकता नहीं है राह में, ताप के भी ताप को सहते रहें।। बुद्धि-साहस ...

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