ये कोठी जो तुमको नज़र आ रही है (रुबाइ)

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ये कोठी जो तुमको नज़र आ रही है,  नज़ाक़त पे अपने जो इतरा रही है!  ज़रा इनके गमलों के फूलों को सूंघो,  तो ख़ूने- ग़रीबां की बू आ रही है।।  ...

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