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*मौन मनुहार* रूठे-रूठे सजन हमारे, उनको आज मनाना है। संबंधों की जमी बर्फ को- शीघ्र हमें पिघलाना है।। छुपा हुआ है चाँद हमारा, बादल के गलियारे में। जब बरसेंगे बादल सारे, ...