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मौन रहती है भेद कह कर, मुखर कर जाए गूढ़ लेखन। सिसकती आहें न छिप पाए, रूह तड़पाए चित्र लेखन। कागज हमराही है इसका, रोश्नाई संगी हमजोली। खामोश आहें निकलती हैं, ...